संतोषी माता आरती(Santoshi Mata Aarti):अर्थ, महत्व, और लाभ
नमस्कार दोस्तों! हम में से कई लोग संतोषी माता के व्रत और उनकी पावन आरती से परिचित हैं। पर क्या आप उनसे जुड़ी विशेष बातें, उनकी आरती का अर्थ जानते हैं? आज, हम संतोषी माता आरती में छिपे भावों को समझेंगे और साथ ही इसे करने का तरीका और लाभ भी जानेंगे।
संतोषी माता की आरती
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे ।
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो ।
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही ।
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
मंदिर जग मग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
दुखी दारिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए ।
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनन्द आयो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे ।
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
जी भर के पावे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥
आरती का अर्थ
संतोषी माता की आरती में, हम उनकी स्तुति करते हैं और उनका आशीर्वाद मांगते हैं। इसमें हम:
- देवी को सुख-संपदा की देवी मानते हैं: माँ को हम प्रसन्नचित्त करते हुए जयकारा लगाते हैं।
- उनके श्रृंगार का वर्णन करते हैं: माँ के चंदन के टीके, मुकुट आदि का वर्णन भी इसमें है।
- उनसे मदद की प्रार्थना करते हैं: आरती में हम सुख, शांति, और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।
आरती का महत्व
संतोषी माता की आरती हमारे लिए काफ़ी महत्त्वपूर्ण है:
- भक्ति भाव जगाती है: आरती से हमारे मन में माँ के लिए भक्ति और प्रेम बढ़ता है।
- मन को शांति मिलती है: आरती करते हुए मन में एक पवित्रता और शांति आती है।
- माँ का आशीर्वाद मिलता है: आरती माँ को प्रसन्न करने का एक सुंदर ज़रिया है।
आरती करने की पूजा विधि
- शुक्रवार को सवेरे उठकर स्नान करके साफ़ वस्त्र पहन लें।
- संतोषी माता की मूर्ति या तस्वीर किसी चौकी पर रखें।
- धूप, दीप, अगरबत्ती जलाएं और गुड़-चना का भोग लगाएं।
- संतोषी माता की आरती गाएं और कथा पढ़ें या सुनें।
आरती के लाभ
भक्ति और प्रेम:
आरती माँ के प्रति भक्ति और प्रेम भाव को बढ़ाती है। जब हम आरती करते हैं, तो हम माँ के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करते हैं। इससे हमारे मन में माँ के प्रति प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
मन को शांति:
आरती करते समय, हमारा मन शांत और एकाग्र होता है। आरती की मधुर धुन और मंत्रों का जाप हमारे मन को शांति और स्थिरता प्रदान करते हैं। इससे तनाव और चिंता कम होती है और मन में सकारात्मक विचार आते हैं।
माँ का आशीर्वाद:
आरती से माँ प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। माँ का आशीर्वाद हमारे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाता है।
सकारात्मकता:
आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। आरती के दीपक की ज्योति और मंत्रों का जाप घर में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करते हैं। इससे घर में सुख और शांति का वातावरण बनता है।
मनोकामनाएं:
आरती से मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है। जब हम सच्चे मन से माँ से प्रार्थना करते हैं, तो माँ हमारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
सुख-समृद्धि:
आरती से सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है। माँ अपने भक्तों को जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्रदान करती हैं।
बुराइयों से सुरक्षा:
आरती से नकारात्मक ऊर्जा और बुराइयों से सुरक्षा मिलती है। माँ अपने भक्तों को बुराइयों से बचाती हैं और उन्हें सुरक्षा प्रदान करती हैं।
आत्मिक उन्नति:
आरती से आत्मिक उन्नति और ज्ञान प्राप्त होता है। माँ अपने भक्तों को आत्मिक ज्ञान प्रदान करती हैं और उन्हें जीवन में सही मार्ग दिखाती हैं।
भक्तों की कहानियां और उनका अनुभव
कहानी 1: सुख-शांति की प्राप्ति
श्रीमती रीना एक गृहिणी थीं। उनका जीवन कई समस्याओं से घिरा हुआ था। उनके पति का व्यवसाय ठीक नहीं चल रहा था, घर में कलह रहता था, और उनकी बेटी बीमार रहती थी। रीना जी ने कई उपाय किए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
एक दिन, उनकी एक पड़ोसन ने उन्हें संतोषी माता व्रत और आरती करने की सलाह दी। रीना जी ने व्रत रखना शुरू किया और नियमित रूप से आरती भी करने लगीं। धीरे-धीरे, उनके जीवन में बदलाव आने लगा।
उनके पति का व्यवसाय सुधरने लगा, घर में शांति स्थापित हुई, और उनकी बेटी भी स्वस्थ हो गई। रीना जी बहुत खुश थीं और उन्होंने संतोषी माता को धन्यवाद दिया।
कहानी 2: मनोकामना की पूर्ति
श्रीमती नीलम एक युवा महिला थीं। उनकी शादी नहीं हो रही थी। उन्होंने कई लड़कों को देखा, लेकिन कोई भी उनसे शादी करने के लिए तैयार नहीं था।
नीलम जी ने संतोषी माता का व्रत रखना शुरू किया और नियमित रूप से आरती भी करने लगीं। कुछ महीनों बाद, उन्हें एक अच्छा लड़का मिला और उनकी शादी हो गई। नीलम जी बहुत खुश थीं और उन्होंने संतोषी माता को धन्यवाद दिया।
कहानी 3: बुराइयों से सुरक्षा
श्रीमान अमित एक व्यवसायी थे। उनका व्यवसाय बहुत अच्छा चल रहा था। लेकिन कुछ समय बाद, उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनके प्रतिस्पर्धी उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे।
अमित जी ने संतोषी माता का व्रत रखना शुरू किया और नियमित रूप से आरती भी करने लगे। धीरे-धीरे, उनकी परेशानियां दूर होने लगीं। उनके प्रतिस्पर्धी हार मान गए और अमित जी का व्यवसाय फिर से अच्छा चलने लगा।
निष्कर्ष:
संतोषी माता की आरती एक ऐसा शक्तिशाली साधन है जो भक्तों को उनकी शक्ति और करुणा से जोड़ता है। यदि आप कठिन समय से गुज़र रहे हैं या जीवन में मनोकामनाएं पूरी करने की उत्सुकता रखते हैं, तो संतोषी माता को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार व्रत और आरती एक सरल पर प्रभावशाली मार्ग है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. संतोषी माता आरती का अर्थ क्या है?
संतोषी माता आरती माँ संतोषी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सुंदर तरीका है। आरती में, हम माँ के गुणों का वर्णन करते हैं और उनसे सुख, शांति, और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
2. संतोषी माता आरती का समय क्या है?
आरती सुबह और शाम दोनों समय की जा सकती है। शुक्रवार को आरती करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
3. क्या पुरुष भी संतोषी माता आरती कर सकते हैं?
जी हाँ, पुरुष भी संतोषी माता आरती कर सकते हैं।
4. आरती करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- आरती करते समय मन शांत और एकाग्र होना चाहिए।
- आरती का उच्चारण सही ढंग से करना चाहिए।
- आरती करते समय माँ के प्रति भक्ति और प्रेम भाव होना चाहिए।
5. क्या संतोषी माता आरती के कोई मंत्र हैं?
जी हाँ, संतोषी माता आरती के कुछ मंत्र हैं। इन मंत्रों का जाप आरती करते समय किया जा सकता है।
6. क्या संतोषी माता आरती के लिए कोई विशेष वस्त्र पहनना आवश्यक है?
नहीं, संतोषी माता आरती के लिए कोई विशेष वस्त्र पहनना आवश्यक नहीं है। स्वच्छ और सादा वस्त्र पहनना पर्याप्त है।
7. क्या संतोषी माता आरती के लिए कोई विशेष स्थान आवश्यक है?
नहीं, संतोषी माता आरती के लिए कोई विशेष स्थान आवश्यक नहीं है। आप इसे घर में या किसी मंदिर में भी कर सकते हैं।
8. क्या संतोषी माता आरती के लिए कोई विशेष दिन आवश्यक है?
नहीं, संतोषी माता आरती के लिए कोई विशेष दिन आवश्यक नहीं है। आप इसे किसी भी दिन कर सकते हैं। शुक्रवार को आरती करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है.
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