शीतला चालीसा (Sheetala Chalisa)
परिचय
शीतला चालीसा एक भक्ति स्तोत्र या भजन है जो शीतला माता की महिमा में समर्पित है। शीतला माता को हिंदू धर्म में स्वास्थ्य, शीतलता और रोगों से मुक्ति की देवी माना जाता है। उन्हें विशेष तौर पर चेचक जैसी बीमारियों से लोगों की रक्षा करने वाली दयालु देवी के तौर पर पूजा जाता है।
यह माना जाता है कि शीतला चालीसा का सच्चे हृदय और श्रद्धा के साथ पाठ करने से शीतला माता अपने भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाती हैं। इस भजन का नियमित पाठ करने से न सिर्फ स्वास्थ्य समस्याओं से निजात मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त होता है।
- परिचय
- शीतला चालीसा
- शीतला माता कौन हैं? Who is Sheetla Mata?
- शीतला चालीसा का महत्व
- शीतला चालीसा: एक दिव्य भजन Sheetla Chalisa: A Divine Hymn
- शीतला माता की कथा The Legend of Sheetla Mata
- शीतला माता पूजा विधि Sheetla Mata Puja Vidhi
- पूजन सामग्री Sheetla Mata Pujan Samagri
- शीतला माता मंत्र Sheetla Mata Mantra
- शीतला चालीसा पाठ के लाभ Benefits of Reciting Sheetla Chalisa
- शीतला माता से जुड़े भक्तों के अनुभव Stories of Devotees' Experiences with Sheetla Mata
- निष्कर्ष
शीतला चालीसा
॥ दोहा॥
जय जय माता शीतला ,
तुमहिं धरै जो ध्यान ।
होय विमल शीतल हृदय,
विकसै बुद्धी बल ज्ञान ॥घट-घट वासी शीतला,
शीतल प्रभा तुम्हार ।
शीतल छइयां में झुलई,
मइयां पलना डार ॥
॥ चौपाई ॥
जय-जय-जय श्री शीतला भवानी ।
जय जग जननि सकल गुणधानी ॥
गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित ।
पूरण शरदचंद्र समसाजित ॥
विस्फोटक से जलत शरीरा ।
शीतल करत हरत सब पीड़ा ॥
मात शीतला तव शुभनामा ।
सबके गाढे आवहिं कामा ॥4॥
शोक हरी शंकरी भवानी ।
बाल-प्राणक्षरी सुख दानी ॥
शुचि मार्जनी कलश करराजै ।
मस्तक तेज सूर्य सम साजै ॥
चौसठ योगिन संग में गावैं ।
वीणा ताल मृदंग बजावै ॥
नृत्य नाथ भैरौं दिखलावैं ।
सहज शेष शिव पार ना पावैं ॥8॥
धन्य धन्य धात्री महारानी ।
सुरनर मुनि तब सुयश बखानी ॥
ज्वाला रूप महा बलकारी ।
दैत्य एक विस्फोटक भारी ॥
घर घर प्रविशत कोई न रक्षत ।
रोग रूप धरी बालक भक्षत ॥
हाहाकार मच्यो जगभारी ।
सक्यो न जब संकट टारी ॥12॥
तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा ।
कर में लिये मार्जनी सूपा ॥
विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्हो ।
मूसल प्रमाण बहुविधि कीन्हो ॥
बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा ।
मैय्या नहीं भल मैं कछु कीन्हा ॥
अबनहिं मातु काहुगृह जइहौं ।
जहँ अपवित्र वही घर रहि हो ॥16॥
अब भगतन शीतल भय जइहौं ।
विस्फोटक भय घोर नसइहौं ॥
श्री शीतलहिं भजे कल्याना ।
वचन सत्य भाषे भगवाना ॥
पूजन पाठ मातु जब करी है ।
भय आनंद सकल दुःख हरी है ॥
विस्फोटक भय जिहि गृह भाई ।
भजै देवि कहँ यही उपाई ॥20॥
कलश शीतलाका सजवावै ।
द्विज से विधीवत पाठ करावै ॥
तुम्हीं शीतला, जगकी माता ।
तुम्हीं पिता जग की सुखदाता ॥
तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी ।
नमो नमामी शीतले देवी ॥
नमो सुखकरनी दु:खहरणी ।
नमो- नमो जगतारणि धरणी ॥24॥
नमो नमो त्रलोक्य वंदिनी ।
दुखदारिद्रक निकंदिनी ॥
श्री शीतला , शेढ़ला, महला ।
रुणलीहृणनी मातृ मंदला ॥
हो तुम दिगम्बर तनुधारी ।
शोभित पंचनाम असवारी ॥
रासभ, खर , बैसाख सुनंदन ।
गर्दभ दुर्वाकंद निकंदन ॥28॥
सुमिरत संग शीतला माई,
जाही सकल सुख दूर पराई ॥
गलका, गलगन्डादि जुहोई ।
ताकर मंत्र न औषधि कोई ॥
एक मातु जी का आराधन ।
और नहिं कोई है साधन ॥
निश्चय मातु शरण जो आवै ।
निर्भय मन इच्छित फल पावै ॥32॥
कोढी, निर्मल काया धारै ।
अंधा, दृग निज दृष्टि निहारै ॥
बंध्या नारी पुत्र को पावै ।
जन्म दरिद्र धनी होइ जावै ॥
मातु शीतला के गुण गावत ।
लखा मूक को छंद बनावत ॥
यामे कोई करै जनि शंका ।
जग मे मैया का ही डंका ॥36॥
भगत ‘कमल’ प्रभुदासा ।
तट प्रयाग से पूरब पासा ॥
ग्राम तिवारी पूर मम बासा ।
ककरा गंगा तट दुर्वासा ॥
अब विलंब मैं तोहि पुकारत ।
मातृ कृपा कौ बाट निहारत ॥
पड़ा द्वार सब आस लगाई ।
अब सुधि लेत शीतला माई ॥40॥
॥ दोहा ॥
यह चालीसा शीतला,
पाठ करे जो कोय ।
सपनें दुख व्यापे नही,
नित सब मंगल होय ॥
बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल,
भाल भल किंतू ।
जग जननी का ये चरित,
रचित भक्ति रस बिंतू ॥
॥ इति श्री शीतला चालीसा ॥
शीतला माता कौन हैं? Who is Sheetla Mata?
शीतला माता हिंदू धर्म में शीतलता और स्वास्थ्य की देवी हैं। देवी शीतला को चेचक और अन्य संक्रामक रोगों की देवी के रूप में भी जाना जाता है। भारत के तमाम हिस्सों और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में शीतला माता की व्यापक रूप से पूजा की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि माता शीतला की पूजा करने से भक्तों को बीमारियों से सुरक्षा मिलती है, खासकर संक्रामक रोगों से। उनके भक्तों का यह भी मानना है कि माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उनके जीवन में शांति और समृद्धि लाती हैं।
शीतला चालीसा का महत्व
- रोगों से सुरक्षा: शीतला माता अपने भक्तों को रोगों से बचाने वाली देवी मानी जाती हैं, खासकर चेचक और अन्य संक्रामक बीमारियों से। माना जाता है कि चालीसा का पाठ करने से माता प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: भक्तों का यह दृढ़ विश्वास है कि शीतला चालीसा का पाठ करने से उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। चालीसा में मां शीतला को ‘मनोकामना सिद्ध करने वाली’ कहा गया है।
- आंतरिक शांति और सकारात्मकता: शीतला माता शीतलता की प्रतीक हैं। उनका आशीर्वाद मन से नकारात्मक भावनाओं को दूर कर, शांति और सकारात्मकता प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक विकास: कोई भी भक्ति पाठ हमें अपने भीतर की दिव्यता से जोड़ता है। शीतला चालीसा का नियमित पाठ भक्तों में श्रद्धा और विश्वास के गुण विकसित करता है, जिससे उनका आध्यात्मिक उत्थान होता है।
शीतला चालीसा: एक दिव्य भजन Sheetla Chalisa: A Divine Hymn
शीतला चालीसा शीतला माता के लिए समर्पित एक दिव्य स्तुति (भजन/स्तोत्र) है। इस चालीसा को नियमित रूप से पढ़ने से भक्तों को अत्यंत पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, देवी मां का आशीर्वाद मिलता है जो तमाम बाधाओं से मुक्ति दिलाकर जीवन को सकारात्मकता और सफलता की ओर ले जाता है।
शीतला माता की कथा The Legend of Sheetla Mata
शीतला माता के जन्म से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार ज्वाला देवी नाम की एक शक्तिशाली देवी थीं, जिन्होंने कई असुरों को हराया था। असुरों का संहार करने के पश्चात देवी के शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ गया। उनके शरीर की तेज गर्मी को सहन करने में असमर्थ देवताओं ने भगवान शिव से इस समस्या के समाधान के लिए प्रार्थना की।
भगवान शिव ने प्रसन्न होकर देवी ज्वाला के ताप को कम करने के लिए अपने शीतल स्पर्श से शीतला माता को जन्म दिया।
शीतला माता पूजा विधि Sheetla Mata Puja Vidhi
शीतला माता को समर्पित शीतला अष्टमी भारत भर में बड़े उत्साह और आस्था के साथ मनाई जाती है। हालांकि, भक्त महीने के किसी भी दिन, खासकर सोमवार और शुक्रवार को शीतला माता की पूजा कर सकते हैं। आइए, जानते हैं शीतला माता की पूजा कैसे की जाती है:
- सुबह जल्दी उठकर नहाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शीतला माता की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से शुद्ध करें।
- देवी को फूल, चावल, हल्दी, कुमकुम, चंदन, अगरबत्ती और दीप अर्पित करें।
- शीतला चालीसा का पाठ करें।
- शीतला माता की आरती करें।
- प्रसाद बांटें।
पूजन सामग्री Sheetla Mata Pujan Samagri
- शीतला माता की मूर्ति या तस्वीर।
- चावल।
- हल्दी।
- कुमकुम।
- चंदन।
- फूल।
- धूप/अगरबत्ती।
- घी का दिया।
- कलश।
- नारियल।
- फल।
- मिठाई।
शीतला माता मंत्र Sheetla Mata Mantra
शीतला माता की साधना के लिए इस शक्तिशाली मंत्र का जाप करें:
“ॐ शीतलायै नमः” “Om Sheetalayai Namah”
शीतला चालीसा पाठ के लाभ Benefits of Reciting Sheetla Chalisa
- शीतला माता की कृपा से रोगों से मुक्ति और संपूर्ण स्वास्थ्य मिलता है।
- चेचक जैसे संक्रामक रोगों से शीतला माता अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।
- मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
शीतला माता से जुड़े भक्तों के अनुभव Stories of Devotees’ Experiences with Sheetla Mata
शीतला माता में अटूट विश्वास रखने वाले भक्तों ने समय-समय पर माता के चमत्कारों का अनुभव किया है। भारत के कई गांवों में, लोग अपने बच्चों को चेचक के टीके लगवाने की जगह शीतला माता की शरण में जाना पसंद करते हैं। उनका मानना है कि अगर वे सच्चे मन से शीतलाष्टमी व्रत और पूजा करते हैं, तो देवी उनके बच्चों को किसी भी तरह के रोगों से बचाएंगी।
शीतला चालीसा का पाठ करना और शीतला माता की साधना अत्यंत कल्याणकारी है। माता के आशीर्वाद से भक्तों को आरोग्य, शांति, और समृद्धि के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास का वरदान मिलता है। माता सबकी मनोकामनाएं और अभिलाषाएं पूरी करती हैं।
निष्कर्ष
यदि आप अपने जीवन में बदलाव चाहते हैं, यदि आप चुनौतियों का सामना साहस के साथ करना सीखना चाहते हैं, तो शीतला माता की शरण में आएं। शीतला चालीसा के दिव्य मंत्रों और माता के आशीर्वाद से आप एक खुशहाल और संतुलित जीवन व्यतीत कर पाएंगे।
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