भगवद् गीता आरती
नमस्कार दोस्तों! क्या आप जीवन के उद्देश्य की खोज कर रहे हैं? क्या रोज़मर्रा की चुनौतियों में मन अशांत रहता है? यदि हाँ, तो आप सही जगह आए हैं। आज हम भगवद् गीता की अद्भुत और प्रेरणादायक आरती पर चर्चा करेंगे। गीता, हिंदुओं के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक, हमें जीवन का असली अर्थ समझने में मार्गदर्शन करती है। आइए, गीता की आरती के महत्व और आशीर्वाद के बारे में जानें।
भगवद् गीता: जीवन का मार्गदर्शक
भगवद्गीता महाभारत के भीष्म पर्व का एक हिस्सा है। यह सनातन धर्म का एक अनमोल रत्न है। महाभारत युद्ध के आरम्भ में, श्री कृष्ण ने अर्जुन को कर्म, धर्म और जीवन के परम सत्य का उपदेश दिया था। यह उपदेश गीता के रूप में सदियों से जीवन को सार्थक बनाने के लिए मनुष्यों का मार्गदर्शन कर रहा है।
भगवद् गीता आरती पाठ
जय भगवद् गीते,
जयभगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते ॥कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि,
कामासक्तिहरा ।
तत्त्वज्ञान-विकाशिनि,
विद्या ब्रह्म परा ॥
जय भगवद् गीते…॥
निश्चल-भक्ति-विधायिनि,
निर्मल मलहारी ।
शरण-सहस्य-प्रदायिनि,
सब विधि सुखकारी ॥
जयभगवद् गीते…॥
राग-द्वेष-विदारिणि,
कारिणि मोद सदा ।
भव-भय-हारिणि,
तारिणि परमानन्दप्रदा ॥
जय भगवद् गीते…॥
आसुर-भाव-विनाशिनि,
नाशिनि तम रजनी ।
दैवी सद् गुणदायिनि,
हरि-रसिका सजनी ॥
जयभगवद् गीते…॥
समता, त्याग सिखावनि,
हरि-मुख की बानी ।
सकल शास्त्र की स्वामिनी,
श्रुतियों की रानी ॥
जय भगवद् गीते…॥
दया-सुधा बरसावनि,
मातु! कृपा कीजै ।
हरिपद-प्रेम दान कर,
अपनो कर लीजै ॥
जयभगवद् गीते…॥
जय भगवद् गीते,
जयभगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते ॥
आरती का अर्थ
भगवद् गीता की आरती जीवन के गहन दर्शन का सार है। यह आरती गीता को सर्वशक्तिमान की स्तुति करते हुए, ज्ञान, कर्म और भक्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाली के रूप में सम्मानित करती है। गीता से हम कामनाओं पर विजय, जीवन के भय से मुक्ति, और परम आनंद की प्राप्ति का आशीर्वाद पा सकते हैं।
आरती की महत्ता
भगवद् गीता आरती केवल एक स्तुति नहीं है; यह हमारे भीतर ज्ञान के प्रकाश को जगाने का एक शक्तिशाली माध्यम है। गीता की आरती से हम ज्ञान, भक्ति, और कर्म के पथ का अनुसरण करने के लिए भगवान की शक्ति से जुड़ते हैं। यह आरती हमारे हृदय में श्रद्धा को जागृत करती है और हमें निस्वार्थ कर्म करने की प्रेरणा देती है।
गीता आरती करने की पूजा विधि
- संकल्प: शुद्ध हृदय से संकल्प लें और भगवान कृष्ण का आह्वान करें।
- ध्यान: भगवान के रूप का ध्यान करें और उनका आशीर्वाद लें।
- आचमन: जल से आचमन करें (शुद्धिकरण क्रिया)।
- आसन: एक आसन पर बैठकर गीता के ज्ञान को ग्रहण करने के लिए खुद को तैयार करें।
- आरती: अगरबत्ती और घी के दीये से भगवद् गीता की आरती करें।
- पुष्पांजलि: गीता पर पुष्प अर्पित करें।
- प्रार्थना: अंत में, गीता के ज्ञान को अपने जीवन में उतारने के लिए भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें।
भगवद् गीता आरती के लाभ
- मन की शांति मिलती है: गीता आरती करते समय, हमारा मन सकारात्मक विचारों में लीन हो जाता है, जिससे शांति और स्थिरता का अनुभव होता है।
- ज्ञान का प्रकाश होता है: गीता के सिद्धांतों का गायन हमारे भीतर आध्यात्मिक ज्ञान को जगाता है।
- धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है: आरती हमें अपने कर्तव्यों और जीवन के सच्चे उद्देश्य को याद दिलाती है।
- भक्ति भाव जागृत होता है: गीता आरती भक्ति भाव को बढ़ाती है और हमें भगवान के करीब लाती है।
- नकारात्मकता दूर होती है: कहा जाता है कि गीता की आरती नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाती है और वातावरण को शुद्ध करती है।
अतिरिक्त टिप्स:
- गीता आरती को समझने और गहराई से आत्मसात करने के लिए गीता के श्लोकों का भी अध्ययन करें।
- गीता की आरती करते समय, अपने भीतर के संवादों को शांत करने का प्रयास करें और गीता के ज्ञान की अनुभूति पर ध्यान दें।
- गीता की आरती, भक्ति और निस्वार्थ कर्म, इस संयोजन के साथ जीवन को सुंदर और सार्थक बनाएं।
मुझे आशा है कि यह ब्लॉग गीता के महत्व और आरती की शक्ति पर व्यापक जानकारी देता है। आपके क्या विचार हैं? क्या आप गीता आरती का अभ्यास करते हैं? नीचे टिप्पणियों में अपने अनुभव हमारे साथ साझा करें!
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