श्री गायत्री चालीसा: दिव्य ज्ञान व आशीर्वाद की कुंजी
परिचय
नमस्कार दोस्तों! क्या आप आध्यात्मिक विकास और जीवन में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं? यदि हाँ, तो श्री गायत्री चालीसा को अपने दैनिक अभ्यास में शामिल करने पर विचार करें। यह शक्तिशाली प्रार्थना आपको देवी गायत्री, ज्ञान और बुद्धि की देवी के शुभ आशीर्वाद से जोड़ती है। आइए, गायत्री चालीसा की गहराई में उतरें और देखें कि यह आपके जीवन को कैसे रूपांतरित कर सकती है।
हिंदू धर्म में, देवी गायत्री को सभी वेदों की जननी (मां) के रूप में पूजा जाता है। वह अक्सर पांच सिरों वाली और कमल पर विराजमान होती हैं। वह ज्ञान, पवित्रता और दिव्य ज्ञान का प्रतीक है। गायत्री मंत्र, सबसे शक्तिशाली वैदिक मंत्रों में से एक, देवी गायत्री को समर्पित है।
श्री गायत्री चालीसा एक भक्ति प्रार्थना है जिसमें 40 छंद (चौपाइयां) हैं जो देवी गायत्री की महिमा, दया और शक्ति का गुणगान करते हैं। इसका पाठ करने से व्यक्ति को ज्ञान, सफलता और आंतरिक शांति प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है।
श्री गायत्री चालीसा
॥ दोहा ॥
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥
॥ चालीसा ॥
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥१॥
अक्षर चौबिस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ॥
शाश्वत सतोगुणी सतरुपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥
हंसारुढ़ सितम्बर धारी ।
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ॥४॥
पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥
ध्यान धरत पुलकित हिय होई ।
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ॥
कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अदभुत माया ॥
तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ॥८॥
सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥
तुम्हरी महिमा पारन पावें ।
जो शारद शत मुख गुण गावें ॥
चार वेद की मातु पुनीता ।
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ॥
महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोऊ गायत्री सम नाहीं ॥१२॥
सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविघा नासै ॥
सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
काल रात्रि वरदा कल्यानी ॥
ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥१६॥
महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जै जै जै त्रिपदा भय हारी ॥
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जग में आना ॥
तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ॥
जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥२०॥
तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ॥
ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥
सकलसृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ॥
मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पतकी भारी ॥२४॥
जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ॥
मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित है जावें ॥
दारिद मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुःख हरै भव भीरा ॥
गृह कलेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ॥२८ ॥
संतिति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपत्ति युत मोद मनावें ॥
भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥
जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥३२॥
जयति जयति जगदम्ब भवानी ।
तुम सम और दयालु न दानी ॥
जो सदगुरु सों दीक्षा पावें ।
सो साधन को सफल बनावें ॥
सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी ।
लहैं मनोरथ गृही विरागी ॥
अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ॥३६॥
ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी ।
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ॥
जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ॥
बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ ।
धन वैभव यश तेज उछाऊ ॥
सकल बढ़ें उपजे सुख नाना ।
जो यह पाठ करै धरि ध्याना ॥४०॥
॥ दोहा ॥
यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय ।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ॥
श्री गायत्री चालीसा का महत्व
- मोक्ष की प्राप्ति: गायत्री चालीसा को मोक्ष और आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग माना जाता है।
- मन की शुद्धि: माना जाता है कि प्रार्थना के नियमित पाठ से मन शुद्ध होता हैं और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- दिव्य सुरक्षा: देवी गायत्री को एक शक्तिशाली रक्षक माना जाता है, और उनका आह्वान करने वालों को बुराई और नकारात्मकता से बचाया जाता है।
- इच्छाओं की पूर्ति: भक्तों का मानना है कि श्री गायत्री चालीसा का पाठ करने से उनकी सही इच्छाएं पूरी होती हैं।
श्री गायत्री चालीसा पाठ विधि
- शुद्धिकरण: एक शांत जगह खोजें और स्नान कर के स्वयं को शुद्ध करें।
- संकल्प: दीपक जलाएं, देवी गायत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और अपना संकल्प (उद्देश्य) बताएं।
- पाठ: पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ श्री गायत्री चालीसा का पाठ करें।
- आहुति: देवी गायत्री को फूल और प्रसाद अर्पित करें।
- आरती: देवी गायत्री की आरती करें।
इष्टतम समय: गायत्री चालीसा के पाठ के लिए सबसे शुभ समय सुबह (सूर्योदय), दोपहर और शाम (सूर्यास्त) माना जाता है।
पूजन सामग्री
- देवी गायत्री की मूर्ति या चित्र
- दीपक
- घी या तेल
- अगरबत्ती
- फूल
- प्रसाद (मिठाई या फल)
गायत्री चालीसा की कथा
चालीसा की एक विशिष्ट कथा है। कहा जाता है कि एक बार ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की शक्ति से प्रभावित होकर देवी गायत्री का आह्वान किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर देवी गायत्री उनके सामने प्रकट हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऋषि विश्वामित्र ने देवी की स्तुति करने और उनका गुणगान करने के लिए गायत्री चालीसा की रचना की।
गायत्री चालीसा के लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति
- मन और आत्मा की शांति
- मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में वृद्धि
- भौतिक और आध्यात्मिक बाधाओं पर विजय
- नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा
- ज्ञान और बुद्धि का विकास
भक्तों के अनुभव
श्री गायत्री चालीसा का पाठ करने वाले कई भक्तों ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलावों का वर्णन किया है। कुछ रिपोर्ट में शांति, स्पष्टता और आंतरिक शक्ति की भावना में वृद्धि शामिल है। अन्य लोग आशीर्वाद और अपने व्यक्तिगत जीवन में चुनौतियों पर काबू पाने का वर्णन करते हैं।
श्री गायत्री मंत्र
गायत्री चालीसा का पाठ करने से पहले गायत्री मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। गायत्री मंत्र इस प्रकार है:
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्॥
अर्थ: हे प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप परमेश्वर, हम आपकी सबसे उत्तम कांति का ध्यान करते हैं। आप हमारे बुद्धि को सही मार्ग पर प्रेरित करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- Q. गायत्री चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए? A. आदर्श रूप से, गायत्री चालीसा को प्रतिदिन एक बार पाठ करना चाहिए। हालांकि, आप इसे अपनी सुविधा के अनुसार हफ्ते में कुछ बार भी पढ़ सकते हैं।
- Q. क्या गायत्री चालीसा का पाठ करने का कोई विशेष नियम है? A. हालांकि कोई सख्त नियम नहीं हैं, गायत्री चालीसा का पाठ करते समय स्वच्छता, पवित्रता और भक्ति बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
- Q. क्या महिलाएं गायत्री चालीसा का पाठ कर सकती हैं? A. जी हां, महिलाएं गायत्री चालीसा का पाठ कर सकती हैं। वास्तव में, गायत्री देवी को सभी मनुष्यों की माता माना जाता है।
- Q. गायत्री चालीसा के पाठ के साथ कौन सी अन्य प्रार्थनाएँ शामिल की जा सकती हैं? A. आप गायत्री चालीसा के साथ गायत्री मंत्र, गायत्री आरती और अन्य भक्ति प्रार्थनाओं को शामिल कर सकते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों, मुझे आशा है कि श्री गायत्री चालीसा पर इस ब्लॉग ने आपको इस शक्तिशाली प्रार्थना की गहरी समझ दी है। यदि आप आध्यात्मिक विकास और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की तलाश कर रहे हैं, तो मैं आपको अपने दैनिक जीवन में गायत्री चालीसा को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं। देवी गायत्री का आशीर्वाद आप पर बना रहे!
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