श्री झूलेलाल चालीसा (Shri Jhulelal Chalisa)
परिचय
श्री झूलेलाल चालीसा के माध्यम से सिंधी समुदाय और जल से जुड़े लोग अपने इष्ट देव, जल देवता श्री झूलेलाल, की भक्ति में लीन हो जाते हैं। इस चालीसा को ‘वरुण स्तुति’ भी कहा जाता है, क्योंकि श्री झूलेलाल को भगवान विष्णु के अवतार और वरुण देव के रूप में भी पूजा जाता है। चालीस दोहों से बनी श्री झूलेलाल चालीसा का नियमित पाठ भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि, आशीर्वाद, और संकटों से मुक्ति लाता है।
श्री झूलेलाल चालीसा – वरुण देव का दिव्य स्तुति गान
नमस्कार दोस्तों, सिंधी समाज के आराध्य देव, जल के देवता श्री झूलेलाल को समर्पित एक महत्वपूर्ण भक्ति रचना है – श्री झूलेलाल चालीसा। आज हम इस चालीसा की महिमा, इसके लाभ, और पाठ विधि पर चर्चा करेंगे। आइए, जानते हैं इस चालीसा की पृष्ठभूमि के बारे में।
श्री झूलेलाल चालीसा
॥ दोहा ॥
जय जय जल देवता,
जय ज्योति स्वरूप ।
अमर उडेरो लाल जय,
झुलेलाल अनूप ॥॥ चौपाई ॥
रतनलाल रतनाणी नंदन ।
जयति देवकी सुत जग वंदन ॥
दरियाशाह वरुण अवतारी ।
जय जय लाल साईं सुखकारी ॥
जय जय होय धर्म की भीरा ।
जिन्दा पीर हरे जन पीरा ॥
संवत दस सौ सात मंझरा ।
चैत्र शुक्ल द्वितिया भगऊ वारा ॥4॥
ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा ।
प्रभु अवतरे हरे जन कलेशा ॥
सिन्धु वीर ठट्ठा राजधानी ।
मिरखशाह नऊप अति अभिमानी ॥
कपटी कुटिल क्रूर कूविचारी ।
यवन मलिन मन अत्याचारी ॥
धर्मान्तरण करे सब केरा ।
दुखी हुए जन कष्ट घनेरा ॥8॥
पिटवाया हाकिम ढिंढोरा ।
हो इस्लाम धर्म चाहुँओरा ॥
सिन्धी प्रजा बहुत घबराई ।
इष्ट देव को टेर लगाई ॥
वरुण देव पूजे बहुंभाती ।
बिन जल अन्न गए दिन राती ॥
सिन्धी तीर सब दिन चालीसा ।
घर घर ध्यान लगाये ईशा ॥12॥
गरज उठा नद सिन्धु सहसा ।
चारो और उठा नव हरषा ॥
वरुणदेव ने सुनी पुकारा ।
प्रकटे वरुण मीन असवारा ॥
दिव्य पुरुष जल ब्रह्मा स्वरुपा ।
कर पुष्तक नवरूप अनूपा ॥
हर्षित हुए सकल नर नारी ।
वरुणदेव की महिमा न्यारी ॥16॥
जय जय कार उठी चाहुँओरा ।
गई रात आने को भौंरा ॥
मिरखशाह नऊप अत्याचारी ।
नष्ट करूँगा शक्ति सारी ॥
दूर अधर्म, हरण भू भारा ।
शीघ्र नसरपुर में अवतारा ॥
रतनराय रातनाणी आँगन ।
खेलूँगा, आऊँगा शिशु बन ॥20॥
रतनराय घर ख़ुशी आई ।
झुलेलाल अवतारे सब देय बधाई ॥
घर घर मंगल गीत सुहाए ।
झुलेलाल हरन दुःख आए ॥
मिरखशाह तक चर्चा आई ।
भेजा मंत्री क्रोध अधिकाई ॥
मंत्री ने जब बाल निहारा ।
धीरज गया हृदय का सारा ॥24॥
देखि मंत्री साईं की लीला ।
अधिक विचित्र विमोहन शीला ॥
बालक धीखा युवा सेनानी ।
देखा मंत्री बुद्धि चाकरानी ॥
योद्धा रूप दिखे भगवाना ।
मंत्री हुआ विगत अभिमाना ॥
झुलेलाल दिया आदेशा ।
जा तव नऊपति कहो संदेशा ॥28॥
मिरखशाह नऊप तजे गुमाना ।
हिन्दू मुस्लिम एक समाना ॥
बंद करो नित्य अत्याचारा ।
त्यागो धर्मान्तरण विचारा ॥
लेकिन मिरखशाह अभिमानी ।
वरुणदेव की बात न मानी ॥
एक दिवस हो अश्व सवारा ।
झुलेलाल गए दरबारा ॥32॥
मिरखशाह नऊप ने आज्ञा दी ।
झुलेलाल बनाओ बन्दी ॥
किया स्वरुप वरुण का धारण ।
चारो और हुआ जल प्लावन ॥
दरबारी डूबे उतराये ।
नऊप के होश ठिकाने आये ॥
नऊप तब पड़ा चरण में आई ।
जय जय धन्य जय साईं ॥36॥
वापिस लिया नऊपति आदेशा ।
दूर दूर सब जन क्लेशा ॥
संवत दस सौ बीस मंझारी ।
भाद्र शुक्ल चौदस शुभकारी ॥
भक्तो की हर आधी व्याधि ।
जल में ली जलदेव समाधि ॥
जो जन धरे आज भी ध्याना ।
उनका वरुण करे कल्याणा ॥40॥
॥ दोहा ॥
चालीसा चालीस दिन पाठ करे जो कोय ।
पावे मनवांछित फल अरु जीवन सुखमय होय ॥
॥ ॐ श्री वरुणाय नमः ॥
कौन हैं श्री झूलेलाल?
श्री झूलेलाल सिंधी लोगों के इष्टदेव हैं। उन्हें जल देवता और सिंधु नदी के रक्षक के रूप में पूजा जाता है। उनका एक अन्य नाम वरुण देव भी है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, श्री झूलेलाल भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उन्हें ‘जल का पालनहार’ भी कहा जाता है।
झूलेलाल चालीसा की उत्पत्ति
‘चालीसा’ शब्द का अर्थ है ‘चालीस’। श्री झूलेलाल चालीसा में कुल 40 दोहे या छंद हैं। माना जाता है कि इसकी रचना एक सिंधी संत ने की थी। श्री झूलेलाल चालीसा को विशेष रूप से चेटीचंड त्योहार (सिंधी नव वर्ष) पर पढ़ा जाता है।
श्री झूलेलाल चालीसा का महत्व
सिंधी समुदाय और जल से जुड़े लोगों के लिए श्री झूलेलाल चालीसा बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण है। इस चालीसा के नियमित पाठ से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- वरुण देव का आशीर्वाद: श्री झूलेलाल चालीसा की शक्ति से भक्तों को वरुण देव की कृपा प्राप्त होती है।
- मनोकामना पूर्ति: इस चालीसा के पाठ से श्रद्धालुओं की इच्छाएं पूरी होती हैं।
- संकट से मुक्ति: यह चालीसा जीवन के संकटों से भक्तों की रक्षा करता है।
- सुख-समृद्धि और शांति: भक्तों का जीवन खुशहाल और सुखी बनता है।
श्री झूलेलाल चालीसा पाठ विधि
यदि संभव हो, तो स्नान के पश्चात इस चालीसा का पाठ करें। यहां पर कुछ आवश्यक बातें हैं:
- समय: सुबह या शाम का समय उत्तम है।
- स्थान: घर का पूजा स्थान या मंदिर।
- चित्र या मूर्ति: श्री झूलेलाल जी की मूर्ति या चित्र सामने रखें।
- दीपक/अगरबत्ती: पूजा करते समय दीपक एवं अगरबत्ती जलाएं।
- पाठ: श्रद्धा और विश्वास के साथ संपूर्ण चालीसा का पाठ करें।
श्री झूलेलाल चालीसा पाठ के लाभ
इस चालीसा का पाठ करने वाले भक्तों को अद्भुत लाभ मिलते हैं:
- आत्मविश्वास और सकारात्मकता का विकास होता है।
- भय और चिंता दूर होती है।
- साहस और संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
- भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग में उन्नति प्राप्त होती है।
श्री झूलेलाल चालीसा के लिए पूजन सामग्री
- श्री झूलेलाल जी की प्रतिमा या तस्वीर:
- दीपक और घी/तेल:
- अगरबत्ती:
- धूप:
- पुष्प:
- फल:
- नैवेद्य (प्रसाद):
- जल से भरा कलश:
- अक्षत (चावल):
- सिंदूर या कुमकुम:
- गंगाजल (यदि उपलब्ध हो):
- पूजा की थाली या चौकी:
- आरती की थाली (वैकल्पिक):
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