श्री लक्ष्मी चालीसा: धन, समृद्धि और दिव्य कृपा का मार्ग

पर purva gudekar द्वारा प्रकाशित

laxmi chalisa

परिचय

नमस्कार दोस्तों! क्या आप अपने जीवन में धन, ऐश्वर्य और आध्यात्मिक विकास चाहते हैं? यदि हाँ, तो श्री लक्ष्मी चालीसा आपके लिए एक अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य मार्ग हो सकता है। माता लक्ष्मी हिंदू पौराणिक कथाओं में धन और समृद्धि की देवी हैं, और उनकी कृपा से आपकी सभी भौतिक और आध्यात्मिक आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है। आइए गहराई से जानते हैं इस पवित्र चालीसा के बारे में!

श्री लक्ष्मी चालीसा (हिंदी में)

॥ दोहा॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा,
करो हृदय में वास ।
मनोकामना सिद्घ करि,
परुवहु मेरी आस ॥॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास,
हाथ जोड़ विनती करुं ।
सब विधि करौ सुवास,
जय जननि जगदंबिका ॥

॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही ।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी ।
सब विधि पुरवहु आस हमारी ॥

जय जय जगत जननि जगदम्बा ।
सबकी तुम ही हो अवलम्बा ॥

तुम ही हो सब घट घट वासी ।
विनती यही हमारी खासी ॥

जगजननी जय सिन्धु कुमारी ।
दीनन की तुम हो हितकारी ॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी ।
कृपा करौ जग जननि भवानी ॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी ।
सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥

कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी ।
जगजननी विनती सुन मोरी ॥

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता ।
संकट हरो हमारी माता ॥

क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो ।
चौदह रत्न सिन्धु में पायो ॥ 10

चौदह रत्न में तुम सुखरासी ।
सेवा कियो प्रभु बनि दासी ॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा ।
रुप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा ।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥

तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं ।
सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥

अपनाया तोहि अन्तर्यामी ।
विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥

तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी ।
कहं लौ महिमा कहौं बखानी ॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई ।
मन इच्छित वांछित फल पाई ॥

तजि छल कपट और चतुराई ।
पूजहिं विविध भांति मनलाई ॥

और हाल मैं कहौं बुझाई ।
जो यह पाठ करै मन लाई ॥

ताको कोई कष्ट नोई ।
मन इच्छित पावै फल सोई ॥ 20

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि ।
त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी ॥

जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै ।
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै ॥

ताकौ कोई न रोग सतावै ।
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥

पुत्रहीन अरु संपति हीना ।
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना ॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै ।
शंका दिल में कभी न लावै ॥

पाठ करावै दिन चालीसा ।
ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै ।
कमी नहीं काहू की आवै ॥

बारह मास करै जो पूजा ।
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माही ।
उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं ॥

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई ।
लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥ 30

करि विश्वास करै व्रत नेमा ।
होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा ॥

जय जय जय लक्ष्मी भवानी ।
सब में व्यापित हो गुण खानी ॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं ।
तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं ॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै ।
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै ॥

भूल चूक करि क्षमा हमारी ।
दर्शन दजै दशा निहारी ॥

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी ।
तुमहि अछत दुःख सहते भारी ॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में ।
सब जानत हो अपने मन में ॥

रुप चतुर्भुज करके धारण ।
कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई ।
ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई ॥

॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी,
हरो वेगि सब त्रास ।
जयति जयति जय लक्ष्मी,
करो शत्रु को नाश ॥

रामदास धरि ध्यान नित,
विनय करत कर जोर ।
मातु लक्ष्मी दास पर,
करहु दया की कोर ॥

श्री लक्ष्मी चालीसा की पूजा विधि

श्री लक्ष्मी चालीसा माता लक्ष्मी की स्तुति वाला चालीस छंदों का भक्तिमय पाठ है। इन छंदों में, देवी लक्ष्मी की सुंदरता, गुणों और उनके भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन है। ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है।

लक्ष्मी चालीसा पाठ के लिए सबसे शुभ दिन शुक्रवार माना जाता है। एक शुद्ध और पवित्र स्थान पर देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

पूजन सामग्री:

  • देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर
  • फूल (विशेषकर कमल)
  • चंदन
  • धूप
  • दीपक
  • मिठाइयाँ या अन्य नैवेद्य
  • एक आसन (बैठने के लिए)

पूजा की विधि:

  1. स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
  2. पूजा स्थान को साफ करके, आसन पर बैठें।
  3. देवी लक्ष्मी को जल अर्पित करें, फूल, धूप, दीप, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें।
  4. लक्ष्मी चालीसा का पाठ सच्चे मन से करें।
  5. अंत में माता लक्ष्मी की आरती करें।

लक्ष्मी चालीसा की कथा

चालीसा का संबंध समुद्र मंथन की प्राचीन कथा से है, जिसमें देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था। माना जाता है कि जो कोई भी भक्ति भाव से लक्ष्मी चालीसा का पाठ करता है, वह समुद्र मंथन के बाद क्षीरसागर से उत्पन्न हुए अष्टलक्ष्मी (धन के आठ रूप) के समान ऐश्वर्य प्राप्त करता है।

लक्ष्मी चालीसा के लाभ

  • धन, समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति
  • कर्ज और आर्थिक परेशानियों से मुक्ति
  • मनोकामनाओं की पूर्ति
  • जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति
  • देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद और उनकी दिव्य कृपा

श्री लक्ष्मी चालीसा से संबंधित भक्तों के अनुभव

भारत के विभिन्न हिस्सों से कई भक्तों ने अपने जीवन में लक्ष्मी चालीसा की शक्ति की असाधारण कहानियां सुनाई हैं। कुछ ने चमत्कारिक रूप से वित्तीय कठिनाइयों पर विजय प्राप्त की, जबकि अन्य ने व्यवसाय और कैरियर में सफलता हासिल की। [यदि संभव हो तो 1-2 ऐसी कहानियां जोड़ें]

श्री लक्ष्मी चालीसा के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

  • क्या मुझे श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता है? नहीं, कोई भी अपनी आस्था और भक्ति के साथ लक्ष्मी चालीसा का पाठ कर सकता है।
  • क्या पाठ के लिए कोई विशिष्ट संख्या निर्धारित है? इसके लिए कोई कठिन नियम नहीं है। आप इसे अपनी सुविधा के अनुसार एक बार या कई बार पढ़ सकते हैं।
  • लक्ष्मी चालीसा के पाठ का सबसे अच्छा समय क्या है? शुक्रवार का दिन और साथ ही शुभ त्योहारों के दिन जैसे दिवाली, लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं।

निष्कर्ष

प्रिय पाठकों, श्री लक्ष्मी चालीसा एक शक्तिशाली साधन है जो आपके जीवन में समृद्धि और दिव्य अनुग्रह ला सकता है। सच्ची श्रद्धा से लक्ष्मी चालीसा का पाठ करके आप माता लक्ष्मी के आशीर्वाद के पात्र बन सकते हैं।


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