श्री नाथजी की संध्या आरती: गोरखनाथ मठ की भव्य परंपरा
परिचय
नमस्कार दोस्तों! आज हम आपको गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मठ में होने वाली श्री नाथजी की संध्या आरती के बारे में बताएंगे। गोरखनाथ मठ नाथ सम्प्रदाय का प्रमुख केंद्र है और संध्या आरती यहाँ की एक बहुत ही महत्वपूर्ण और भव्य परंपरा है। आइये, इस पवित्र आरती के महत्व और इससे जुड़ी जानकारियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
श्री नाथजी कौन हैं?
श्री नाथजी भगवान श्री कृष्ण के सात वर्षीय बाल स्वरूप हैं। नाथ संप्रदाय में श्री नाथजी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इन्हें गिरिराज गोवर्धन के रूप में भी माना जाता है। कहा जाता है कि श्री नाथजी सर्वप्रथम गोवर्धन पर्वत पर प्रकट हुए थे। बाद में, भक्तिभाव से प्रभावित होकर श्री नाथजी भक्तों के साथ उनके घरों में भी विराजमान होने लगे।
संध्या आरती
ऊँ गुरुजी शिव जय जय गोरक्ष देवा। श्री अवधू हर हर गोरक्ष देवा ।
सुर नर मुनि जन ध्यावत, सुर नर मुनि जन सेवत ।
सिद्ध करैं सब सेवा, श्री अवधू संत करैं सब सेवा ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥ऊँ गुरुजी योग युगति कर जानत मानत ब्रह्म ज्ञानी ।
श्री अवधू मानत सर्व ज्ञानी ।
सिद्ध शिरोमणि राजत संत शिरोमणि साजत ।
गोरक्ष गुण ज्ञानी, श्री अवधू गोरक्ष सर्व ज्ञानी ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥
ऊँ गुरुजी ज्ञान ध्यान के धारी गुरु सब के हो हितकारी ।
श्री अवधू सब के हो सुखकारी ।
गो इन्द्रियों के रक्षक सर्व इन्द्रियों के पालक ।
राखत सुध सारी, श्री अवधू राखत सुध सारी ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥
ऊँ गुरु जी रमते श्रीराम सकल युग माही छाया है नाहीं ।
श्री अवधू माया है नाहीं ।
घट घट के गोरक्ष व्यापै सर्व घट श्री नाथ जी विराजत ।
सो लक्ष मन मांही श्री अवधू सो लक्ष दिल मांही ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥
ऊँ गुरुजी भस्मी गुरु लसत सरजनी है अंगे ।
श्री अवधू जननी है संगे ।
वेद उच्चारे सो जानत योग विचारे सो मानत ।
योगी गुरु बहुरंगा श्री अवधू बोले गोरक्ष सर्व संगा ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥
ऊँ गुरु जी कंठ विराजत सेली और श्रृंगी जत मत सुखी बेली ।
श्री अवधू जत सत सुख बेली ।
भगवा कंथा सोहत-गेरुवा अंचला सोहत ज्ञान रतन थैली ।
श्री अवधू योग युगति झोली ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥
ऊँ गुरु जी कानों में कुण्डल राजत साजत रवि चन्द्रमा ।
श्री अवधू सोहत मस्तक चन्द्रमा ।
बाजत श्रृंगी नादा-गुरु बाजत अनहद नादा-गुरु भाजत दुःख द्वन्दा ।
श्री अवधू नाशत सर्व संशय
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥
ऊँ गुरु जी निद्रा मारो गुरु काल संहारो-संकट के हो बैरी
श्री अवधू दुष्टन के हो बैरी
करो कृपा सन्तन पर-गुरु दया पालो भक्तन पर शरणागत तुम्हारी
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥
ऊँ गुरु जी इतनी श्रीनाथ जी की संध्या आरती
निश दिन जो गावे-श्री अवधू सर्व दिन रट गावे
वर्णी राजा रामचन्द्र स्वामी गुरु जपे राजा रामचन्द्र योगी
मनवांछित फल पावे श्री अवधू सुख सम्पत्ति फल पावे ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥
आरती विधि
गोरखनाथ मठ में श्री नाथजी की संध्या आरती कई चरणों में संपन्न की जाती है। सबसे पहले श्री नाथ जी का श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद धूप, दीप, अगरबत्ती आदि से उनकी पूजा होती है। फिर, शुद्ध घी के दीपक के साथ श्री नाथजी की सात बार आरती उतारी जाती है। आरती के दौरान भक्तगण “श्री गुरु गोरक्षनाथ जी की आरती” गाते हैं।
आरती के लाभ
श्री नाथजी की संध्या आरती सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है। इसमें शामिल होने से भक्तों को असीम आध्यात्मिक लाभ होते हैं। आरती में भक्तिभाव से भाग लेने से व्यक्ति के मन को शांति मिलती है। सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और सांसारिक चिंताएं कुछ समय के लिए दूर हो जाती हैं।
FAQs
1. गोरखनाथ मठ में संध्या आरती किस समय होती है?
गोरखनाथ मठ में संध्या आरती सूर्यास्त के समय होती है, जो आमतौर पर शाम 6:00 बजे से 6:30 बजे के बीच होती है। हालांकि, मौसम के अनुसार समय थोड़ा भिन्न हो सकता है। सटीक समय जानने के लिए मठ के प्रशासन से संपर्क करना उचित होगा।
2. क्या गोरखनाथ मठ में संध्या आरती में शामिल होने के लिए कोई शुल्क है?
नहीं, गोरखनाथ मठ में संध्या आरती में शामिल होने के लिए कोई शुल्क नहीं है। यह एक निःशुल्क धार्मिक आयोजन है जिसमें सभी भक्त भाग ले सकते हैं।
3. क्या मंदिर में प्रसाद मिलता है?
हाँ, मंदिर में संध्या आरती के बाद प्रसाद वितरित किया जाता है। प्रसाद में आमतौर पर फल, मिठाई और लड्डू शामिल होते हैं।
4. गोरखनाथ मठ तक पहुंचने के लिए किन साधनों का उपयोग किया जा सकता है?
गोरखनाथ मठ गोरखपुर शहर के केंद्र में स्थित है और सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से सुलभ है। आप अपने सुविधानुसार बस, टैक्सी, ऑटो रिक्शा या ट्रेन से मठ तक पहुंच सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा गोरखपुर हवाई अड्डा है, जो मठ से लगभग 8 किलोमीटर दूर है।
उपसंहार
श्री नाथजी की संध्या आरती गोरखनाथ मठ में अनुभव करने के लिए एक अद्भुत और आध्यात्मिक अनुभव है। यदि आप आध्यात्मिकता, भक्ति और परंपरा में रुचि रखते हैं, तो आपको निश्चित रूप से इस दिव्य आरती में शामिल होना चाहिए। गोरखनाथ मठ की शांत और पवित्र वातावरण, भक्तिमय मंत्रों का गायन, और श्री नाथजी की आरती का भव्य दृश्य आपको निश्चित रूप से मंत्रमुग्ध कर देगा।
यह आरती आपको आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देगी और आपके मन को शांति प्रदान करेगी। तो, अगली बार जब आप गोरखपुर जाएं, तो गोरखनाथ मठ में श्री नाथजी की संध्या आरती में भाग लेना न भूलें। यह एक ऐसा अनुभव है जिसे आप जीवन भर नहीं भूलेंगे।
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