श्री सिद्धिविनायक आरती: अर्थ, महत्व और पूजा विधि के साथ

पर purva gudekar द्वारा प्रकाशित

Siddhivinayak Aarti

परिचय

नमस्कार दोस्तों! क्या आप भगवान गणेश के परम भक्त हैं? क्या आप अपने जीवन में सुख, समृद्धि और बाधाओं से मुक्ति चाहते हैं? यदि हाँ, तो श्री सिद्धिविनायक आरती सीखना आपके लिए सबसे उत्तम आध्यात्मिक कार्यों में से एक हो सकता है। आइए, इस अद्भुत आरती की दुनिया में एक साथ कदम रखें, इसके गहरे अर्थ को समझें, पूजा विधि जानें, और इसके लाभों को महसूस करें।

श्री सिद्धिविनायक आरती

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची ।
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची ।
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची ।
कंठी झलके माल मुकताफळांची ।
जय देव जय देव..

जयदेव जय देव,
जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा ।
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा ।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा ।
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया ।
जय* देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय *मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना ।
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना ।
दास रामाचा वाट पाहे सदना ।
संकटी पावावे निर्वाणी, रक्षावे सुरवर वंदना ।
जय* देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय * मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

॥ श्री गणेशाची आरती ॥

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको ।
हाथ लिए गुड लड्डू सांई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥
जय देव जय देव..

जयदेव जय देव,
जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥
जय* देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय* जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतत संपत सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥
जय देव जय देव..

जयदेव जय देव,
जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

॥ श्री शंकराची आरती ॥

लवथवती विक्राळा ब्रह्मांडी माळा,
वीषे कंठ काळा त्रिनेत्री ज्वाळा
लावण्य सुंदर मस्तकी बाळा,
तेथुनिया जळ निर्मळ वाहे झुळझुळा ॥
जय* देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय* श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

कर्पुरगौरा भोळा नयनी विशाळा,
अर्धांगी पार्वती सुमनांच्या माळा
विभुतीचे उधळण शितकंठ नीळा,
ऐसा शंकर शोभे उमा वेल्हाळा ॥
जय देव जय देव..

जय* देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

देवी दैत्यी सागरमंथन पै केले,
त्यामाजी अवचित हळहळ जे उठले
ते त्वा असुरपणे प्राशन केले,
नीलकंठ नाम प्रसिद्ध झाले ॥
जय देव जय देव..

जय* देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

व्याघ्रांबर फणिवरधर सुंदर मदनारी,
पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी
शतकोटीचे बीज वाचे उच्चारी,
रघुकुलटिळक रामदासा अंतरी ॥
जय* देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय* श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

॥ श्री देवीची आरती ॥

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी,
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी ।
वारी वारीं जन्ममरणाते वारी,
हारी पडलो आता संकट नीवारी ॥
जय देवी जय देवी..

जयदेवी जय देवी,
जय महिषासुरमथनी ।
सुरवर-ईश्वर-वरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥

त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही,
चारी श्रमले परंतु न बोलावे काहीं ।
साही विवाद करितां पडिले प्रवाही,
ते तूं भक्तालागी पावसि लवलाही ॥
जय* देवी जय देवी..

जय देवी जय देवी,
जय* महिषासुरमथनी ।
सुरवरईश्वरवरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥

प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां,
क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा ।
अंवे तुजवांचून कोण पुरविल आशा,
नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा ॥
जय देवी जय देवी..

जयदेवी जय देवी,
जयमहिषासुरमथनी ।
सुरवरईश्वरवरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥

॥ घालीन लोटांगण आरती ॥
घालीन लोटांगण, वंदीन चरण ।
डोळ्यांनी पाहीन रुप तुझें ।
प्रेमें आलिंगन, आनंदे पूजिन ।
भावें ओवाळीन म्हणे नामा ॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव ।
त्वमेव-बंधुक्ष्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विध्या द्रविणं त्वमेव ।
त्वमेव-सर्वं मम देवदेव ॥

कायेन वाचा मनसेंद्रीयेव्रा,
बुद्धयात्मना वा प्रकृतिस्वभावात ।
करोमि यध्य्त सकलं परस्मे,
नारायणायेति समर्पयामि ॥

अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्र भजे ॥

हरे राम हर राम,
राम राम हरे हरे ।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।

श्री सिद्धिविनायक आरती का महत्व

  • मन में शांति मिलती है: इस आरती का जप आंतरिक शांति और सकारात्मकता लाता है।
  • बाधाएं दूर होती हैं: माना जाता है कि इस आरती को सच्चे मन से करने से जीवन के मार्ग की बाधाएं दूर होती हैं।
  • इच्छाएं पूर्ण होती हैं: भक्तों का विश्वास है कि श्री सिद्धिविनायक आरती का पाठ करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • दिव्य संबंध: यह आरती भगवान गणेश के साथ एक गहरा आध्यात्मिक संबंध बनाने में मदद करती है।

सिद्धिविनायक आरती पूजा विधि

  1. शुद्धिकरण: सबसे पहले स्नान करके अपने शरीर और मन को शुद्ध करें।
  2. सामग्री तैयार करें: फूल, अगरबत्ती, दीपक, चंदन, कुमकुम, फल और प्रसाद जैसी पूजा सामग्री इकट्ठा करें।
  3. भगवान गणेश की मूर्ति/तस्वीर स्थापित करें: भगवान सिद्धिविनायक की मूर्ति या तस्वीर को एक साफ चौकी पर स्थापित करें।
  4. आरती करें: श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री सिद्धिविनायक आरती का पाठ करें।
  5. प्रसाद चढ़ाएं: भगवान गणेश को फल और प्रसाद चढ़ाएं।

श्री सिद्धिविनायक आरती के लाभ

  • समृद्धि और सफलता: श्री सिद्धिविनायक आरती के जाप से जीवन में धन-धान्य और सफलता की प्राप्ति होती है।
  • ज्ञान और बुद्धि: भगवान गणेश को बुद्धि के देवता माना जाता है। उनका आशीर्वाद बुद्धि को तेज करता है और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि करता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: यह आरती नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करती है और घर में सकारात्मक कंपन पैदा करती है।
  • मन की शांति और आत्मविश्वास: आरती का नियमित जाप मन को शांत करता है, चिंताओं को दूर करता है और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।

भक्तों के अनुभव

श्री सिद्धिविनायक आरती की शक्ति और सिद्धिविनायक मंदिर का महत्व असंख्य भक्तों के अनुभवों में परिलक्षित होता है। कई भक्तों ने कठिन परिस्थितियों पर काबू पाने, जीवन में सफलता प्राप्त करने और अपनी गहरी इच्छाओं को पूरा करने का श्रेय भगवान सिद्धिविनायक को दिया है।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

  • श्री सिद्धिविनायक आरती का सबसे अच्छा समय क्या है? सुबह और शाम को आरती करने का उत्तम समय माना जाता है, लेकिन इसे दिन में कभी भी सच्चे मन से किया जा सकता है।
  • आरती करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आरती करते समय श्रद्धा, भक्ति और स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए।.
  • क्या आरती के दौरान कोई विशिष्ट संख्या में जप करने की आवश्यकता है? नहीं, कोई निर्धारित संख्या नहीं है। आप आरती को जितनी बार चाहें कर सकते हैं।

निष्कर्ष

प्रिय मित्रों, मुझे आशा है कि श्री सिद्धिविनायक आरती के बारे में इस ब्लॉग ने आपको बहुमूल्य जानकारी प्रदान की है। इस दिव्य आरती को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने के बारे में सोचें। ऐसा करके आप भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि को आमंत्रित करेंगे।

यदि यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें ताकि वे भी इस शक्तिशाली आरती की शक्ति का अनुभव कर सकें। जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति!


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