श्री सीता आरती: महत्त्व, विधि, कथा, और लाभ

पर purva gudekar द्वारा प्रकाशित

Sita Aarti

परिचय

नमस्कार देवियों और सज्जनों! आज हम श्री सीता आरती, एक अत्यंत पवित्र और भक्तिमय अनुष्ठान के बारे में जानेंगे। यह आरती देवी सीता, भगवान राम की पत्नी और भगवान विष्णु के अवतार, को समर्पित है।

सीता माता, धैर्य, त्याग और भक्ति की प्रतिमूर्ति, सदैव हमारे ह्रदय में विराजमान हैं। उनकी आरती करना, उनके चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करने का एक सुंदर तरीका है।

श्री सीता आरती:

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई,
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

श्री सीता आरती का महत्त्व:

  • आध्यात्मिक शुद्धि: यह आरती मन को शुद्ध करती है, नकारात्मक विचारों को दूर करती है और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है।
  • सुख-समृद्धि: सीता माता को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। उनकी आरती करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
  • कष्टों का निवारण: यह आरती कष्टों को दूर करने, मनोबल बढ़ाने और जीवन में सकारात्मकता लाने में सहायक होती है।

सीता आरती विधि:

सामग्री:

  • दीपक
  • घी
  • कपूर
  • फूल
  • चंदन
  • रोली
  • धूप
  • आरती की थाली
  • जल

विधि:

  1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
  2. एक थाली में दीपक जलाएं और घी, कपूर, फूल, चंदन, रोली और धूप अर्पित करें।
  3. जल से हाथ धो लें और आरती की थाली लें।
  4. “श्री सीता आरती” गाएं या आरती सुनें।
  5. आरती करते समय थाली को देवी सीता की मूर्ति या तस्वीर के सामने घुमाएं।
  6. आरती समाप्त होने पर, प्रसाद वितरित करें।

सीता माता की कथा:

सीतास्वयंभू:

सीता माता को धरती माता की पुत्री माना जाता है। जब भगवान राम सीता स्वयंवर में आए थे, तो उन्होंने शिव धनुष उठाया था। तभी धरती से सीता प्रकट हुईं और भगवान राम से विवाह हुआ।

वनवास:

भगवान राम को चौदह वर्ष का वनवास दिया गया था। सीता माता ने भी उनके साथ वनवास जाना स्वीकार किया। वनवास में रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। भगवान हनुमान जी ने सीता माता को खोजा और रावण का वध कर उन्हें मुक्त कराया।

पतिव्रता:

सीता माता पतिव्रता का आदर्श उदाहरण हैं। उन्होंने हमेशा भगवान राम का साथ दिया, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आई हों।

सीता आरती के लाभ:

  • सुख-शांति: सीता आरती करने से मन में शांति और सुख प्राप्त होता है।
  • धैर्य: सीता माता धैर्य की प्रतिमूर्ति थीं। उनकी आरती करने से धैर्य प्राप्त होता है।
  • त्याग: सीता माता ने अपना सब कुछ त्याग दिया था। उनकी आरती करने से त्याग की भावना विकसित होती है

FAQs (पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. सीता आरती किस समय करना उत्तम है?

  • सीता आरती के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त का समय विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। आप इसे अपनी सुविधा के अनुसार अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।

2. क्या महिलाएं सीता आरती कर सकती हैं?

  • हां, महिलाएं और पुरुष दोनों ही सीता आरती कर सकते हैं। देवी सीता की भक्ति में कोई लिंग भेद नहीं है।

3. क्या सीता आरती के दौरान कोई मंत्र जाप करना जरूरी है?

  • सीता आरती स्वयं में ही एक पूर्ण भक्ति गीत है। अगर आप मंत्र जाप भी करना चाहते हैं तो “ॐ जानकी रामाभ्यां नमः” या “ॐ श्री सीताये नमः”का जप करना शुभ होगा।

4. यदि हमारे घर में सीता जी की मूर्ति ना हो तो?

  • चिंता की बात नहीं है। आप सीता माता की तस्वीर के सामने या केवल मन में उनकी सुंदर छवि बनाकर भी सच्चे मन से आरती कर सकते हैं।

5. आरती के बाद प्रसाद किसे बांटना चाहिए?

  • आरती के बाद बनने वाले प्रसाद को आप परिवार, मित्रों और ज़रूरतमंद लोगों में बाँट कर पुण्य के हिस्सेदार बन सकते हैं।

उपसंहार

प्रिय पाठकों, सीता आरती आत्म-शुद्धि, शक्ति, और भक्ति का एक अद्भुत मार्ग है। इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल करने से निश्चित रूप से मन में शांति और सकारात्मकता आएगी। सीता माता की भक्ति-भावना को अपने अंतर्मन में समाहित करके, हम भी उनके गुणों – धैर्य, साहस और समर्पण – को अपनाने का प्रयास कर सकते हैं।

जय जगत जननी जानकी! जय सिया राम!


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