श्री सूर्य देव – ऊँ जय सूर्य भगवान
नमस्कार दोस्तों! प्रकाश और जीवन के स्रोत, सूर्य देव हिंदू धर्म में अत्यंत श्रद्धेय हैं। उनकी दिव्य किरणें हमें ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करती हैं। आज के इस लेख में हम सूर्य देव की पूजा के महत्व, उनकी आरती, कथाओं और पूजन विधि के बारे में गहराई से जानेंगे। तो, आइए इस दिव्य यात्रा पर एक साथ चलें!
सूर्य देव आरती
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
सूर्य देव की पूजा विधि
- समय: सूर्योदय का समय पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
- स्नान: सुबह जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- संकल्प: एक संकल्प (दृढ़ निश्चय) लें और सूर्य देव का ध्यान करें।
- सूर्य को अर्घ्य दें: तांबे के लोटे में जल भरें। उसमें रोली, लाल फूल और अक्षत (चावल) डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- मंत्रोच्चार: “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
- आरती: सूर्य देव की आरती करें।
- प्रार्थना: सूर्य देव से कृपा, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना करें।
पूजन सामग्री
- सूर्य देव की प्रतिमा या तस्वीर
- तांबे का लोटा
- जल
- रोली
- अक्षत (चावल)
- लाल फूल
- धूप
- दीपक
- कपूर
- फल एवं मिष्ठान
सूर्य देव की पूजा के लाभ
- आंखों की रोशनी बढ़ाएं: सूर्य देव को नियमित जल देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
- मनोकामना पूर्ति: सच्ची श्रद्धा से की गई सूर्य पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- सफलता और समृद्धि: सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति अपने जीवन में सफलता, शक्ति, और समृद्धि प्राप्त करता है।
- सभी ग्रह दोषों का निवारण: सूर्य आत्मा का कारक हैं। सूर्य को मजबूत करने से सभी ग्रह दोष दूर होते हैं।
सूर्यदेव के मंत्र
- सूर्य गायत्री मंत्र:
ॐ भास्कराय विद्महे महाद्युति कराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् - सूर्य बीज मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
सूर्य देव के भक्तों की कहानियां
हिंदू पौराणिक कथाओं और इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां सूर्य देव की भक्ति ने लोगों का भाग्य बदला है।
साम्ब (कृष्ण पुत्र):
भगवान कृष्ण के पुत्र साम्ब एक शरारती राजकुमार थे। एक बार उन्होंने ऋषियों का मजाक उड़ाया, जिसके क्रोध से उन्हें भयंकर कुष्ठ रोग हो गया। वे घृणा और निराशा से पीड़ित थे। उन्होंने कई डॉक्टरों और वैद्यों से इलाज करवाया, लेकिन कोई भी उनका रोग ठीक नहीं कर पाया। अंत में, उन्होंने सूर्य देव की शरण लेने का निर्णय लिया। उन्होंने कठोर तपस्या और सूर्य देव की पूजा की। सूर्य देव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उनका कुष्ठ रोग दूर कर दिया। साम्ब के जीवन में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था, और उन्होंने अपनी गलतियों का एहसास करते हुए जीवन में सदैव सत्य और धर्म का पालन करने का वचन दिया।
सूर्य देव की भक्ति का महत्व:
द्रौपदी और साम्ब की कहानियां हमें सूर्य देव की भक्ति के महत्व को समझाती हैं। सूर्य देव जीवन, शक्ति और समृद्धि के देवता हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को ना केवल भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं, बल्कि आंतरिक शांति और आत्मबल भी बढ़ता है। सूर्योपासना से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
ध्यान देने योग्य बातें
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने की कोशिश करें और इस दिनभर सात्विक भोजन करें।
- पूजा के बाद सूर्य नमस्कार करने से आपको अधिक लाभ मिलेगा।
- संभव हो तो जरूरतमंदों को गुड़, गेहूं, लाल कपड़ा और तांबे से बनी वस्तुओं का दान करें।
FAQs
- रविवार के व्रत में क्या खा सकते हैं? इस व्रत में एक समय फलाहार या बिना नमक का भोजन किया जाता है।
- सूर्य देव की पूजा में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए? पूजा करते समय सूर्य देव की ओर सीधे नहीं देखना चाहिए।
- पूजा का सबसे उत्तम समय क्या है? सूर्योदय के समय के आसपास सूर्य की पूजा सबसे अधिक फलदायी मानी जाती है।
निष्कर्ष
सूर्य देव जीवन, शक्ति और सकारात्मकता के प्रतीक हैं। उनकी उपासना से व्यक्ति के जीवन में न केवल भौतिक समृद्धि आती है, बल्कि आंतरिक प्रकाश और शांति भी प्राप्त होती है। सूर्य देव को समर्पित नियमित पूजा, सच्ची भक्ति और शुद्ध हृदय आपको अनंत दिव्य कृपा का पात्र बना सकते हैं।
दोस्तों, मुझे आशा है कि श्री सूर्य देव पर लिखा गया यह ब्लॉग आपको उपयोगी लगा होगा। अगर आप सूर्य देव के बारे में और जानना चाहते हैं या उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करना चाहते हैं, तो कृपया अपने विचार कमेंट कर साझा करें।
जय सूर्य देव!
0 टिप्पणियाँ